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चुनाव आयोग की राजनीतिक दलों को दो टूक, जाति-धर्म और भाषा पर नहीं मांग सकते वोट; धर्मस्थलों पर चुनाव प्रचार अलाउड नहीं

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द फॉलोअप डेस्क 

भारतीय चुनाव आयोग ने एक एडवाइजरी जारी कर कहा है कि राजनीतिक दल जाति-धर्म और भाषा के आधार पर वोट मांगने से बचें। कहा है कि एडवाइजरी की शर्तों को नहीं मानने पर कड़ी कार्रवाई हो सकती है। आयोग ने ऐसे समय में एडवाइडरी जारी की है जब देश में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। साथ ही आयोग ने कहा है कि धार्मिक स्थलों जैसे मंदिर-मस्जिद, गुरुद्वारा औऱ गिरजाघरों का इस्तेमाल वोट मांगने के लिए नहीं करना है। न ही धार्मिक स्थलों से चुनाव प्रचार किया जायेगा। आयोग ने उम्मीदवारों से भी कहा है कि वे वोट पाने के लिए अनुचित बयानबाजी से भी बचेंगे।

बुजुर्ग मतदाताओं के नियम में बदलाव 

एक अन्य खबर के मुताबिक लोकसभा चुनाव में इस बार आपको बुजुर्ग वोटरों की लंबी कतार देखने के लिए मिल सकती है। इसका कारण ये है कि निर्वाचन आयोग ने बुजुर्ग मतदाताओं के लिए नियम में बदलाव किये हैं। इसके मुताबिक अब पोस्टल बैलेट के जरिये वोटिंग की आयु सीमा को बढ़ा दिया गया है। बता दें कि पहले ये आयु सीमा 80 साल थी, जिसे अब 85 साल कर दिया गया है। दूसरे शब्दों में अब 85 साल होने पर ही बुजुर्ग वोटर पोस्टल बैलेट की सुविधा ले सकेंगे। मिली खबर के मुताबिक नियम में इस बदलाव से पहले चुनाव आयोग और केंद्र सरकार के बीच लंबी मंत्रणा हुई। इसके बाद चुनाव संचालन नियम (1961) में संशोधन किया गया है।  


इसलिए किये गये बदलाव 
मिली खबर के मुताबिक नियम में संशोधन से पहले पिछले 11 विधानसभा चुनावों के रुझान का अध्य़यन किया गया। अध्ययन में ये तथ्य निकलकर सामने आया कि चुनावों में 80 साल से ऊपर के 97% बुजुर्ग वोटरों ने पोस्टल बैलेट के जरिए मतदान के बदले पोलिंग बूथ पर जाकर वोट डालना पसंद किया था। इसे देखते हुए ही सरकार ने 2020 में किए गए इस प्रावधान में बदलाव किया है। वहीं, कहीं 98 फीसद बुजुर्ग वोटरों ने बूथ पर जाकर मतदान करना पसंद किया है। 

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